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Brijaraj Gadhvi Hanuman Chalisha

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सोनल माँ 51 आदेश | आई सोनल आदेश

सोनल माँ 51 आदेश सतवादी चारण बनो, काढो कुटुंब कलेश... छोडो दारु चारणो, (इ) आइ सोनल आदेश...१ दाम माटे कोइ दीकरी, वेंचो नहीं लघुलेश... दैत वृत्ती छोडीद्यो, (इ) आइ सोनल आदेश...२ चोरी जारी चुगली, काढो जुगार कलेश... नीतिथी चारण नभो, (इ) आइ सोनल आदेश...३ कुरिवाजो काढवा, वरतो समय विशेष... कारज भोजन भंग करो, (इ) आइ सोनल आदेश...४ मही पर छोडो मांगवु, वधो पुरुषार्थ वेश... नेक टेक राखो नवड, (इ) आइ सोनल आदेश...५ जीवन एवुं जीवजो, अहिंशा बनो उदे्श... वेद रामायण वांचजो, (इ) आइ सोनल आदेश...६ सरस्वती सेवो सदा, भक्ति करो भवेश... उज्जवळ रीति आचरो, (इ) आइ सोनल आदेश...७ पढो सुविधा प्रेमथी, कायम समय संदेश... देव जाती दिपावजो, (इ) सोनल आदेश...८ प्रतिभा तेज प्रतापथी, नमे महान नरेश... एवा चारण अवतरो, (इ) आइ सोनल आदेश...९ धागा दोरा धुणवुं, काढो तुत कलेश... चारण ! पाखंड छोडजो, (इ) आइ सोनल आदेश...१० उज्जवळ करणी आचरो, व्रतधारी विशेष... जगदंबा जीभे जपो, (इ) आइ सोनल आदेश...११ जीवन तपेश्वरी जीवजो, वर्ण चारण विशेष... (तो) जगदंबा जनमशे, (इ) आइ सोनल आदेश...१२ तजो भोग आळश तजो, व्

Rang Morlo Brijaraj Gadhvi | Kali Vadaldi tane vinave Be Gadi Nachi Le Rang Morla

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चारण कौन है | गढवी का परिचय | Charan Ka Parichay | Gadhvi Kon He | What Is charan | Gadhvi Ka Parichay

चारण कोन है । चारणों का उद्भवन कैसे और कब हुआ, वे इस देश में कैसे फैले और उनका मूल रूप क्या था, आदि प्रश्नों के संबंध में प्रामाणिक सामग्री का अभाव है; परंतु जो कुछ भी सामग्री है, उसके अनुसार विचार करने पर उस संबंध में अनेक तथ्य उपलब्ध होते हैं।                        चारणों की उत्पत्ति दैवी कही गई है। ये पहले मृत्युलोक के पुरुष न होकर स्वर्ग के देवताओं में से थे (श्रीमद्भा. 3।10।27-28)। सृष्टिनिर्माण के विभिन्न सृजनों से चारण भी एक उत्पाद्य तत्व रहे हैं। भागवत के टीकाकार श्रीधर ने इनका विभाजन विबुधा, पितृ, असुर, गंधर्व, भूत-प्रेत-पिशाच, सिद्धचारण, विद्याधर और किंनर किंपुरुष आदि आठ सृष्टियां के अंतर्गत किया है। ब्रह्मा ने चारणों का कार्य देवताओं की स्तुति करना निर्धारित किया। मत्स्य पुराण (249.35) में चारणों का उल्लेख स्तुतिवाचकों के रूप में है। चारणों ने सुमेर छोड़कर आर्यावर्त के हिमालय प्रदेश को अपना तपक्षेत्र बनाया, इस प्रसंग में उनकी भेंट अनेक देवताओं और महापुरुषां से हुई। इसके कई प्रसंग प्राप्त होते हैं। वाल्मीकि रामायण- (बाल. 17.9, 75.18; अरण्य. 54.10; सुंदर. 55.29; उत्तर. 4.4) म

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Ishardan Gadhvi hanuman chalisa mp3 download  Hanuman Chalisa Hindi Lyrics दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥ राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥ हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥ शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥ विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया॥८॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥ लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद क